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सारी उम्र चुप रहते-रहते

वो बेज़ुबान हो गया

 

अंत में सोचा

चलो, ये भी ठीक है,

कम से कम बेज़ुबान के

कोई दुश्मन तो नहीं होते

 

यही सोचकर

उसने सच से ही

अपनी दुश्मनी मोड़ लिया

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