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akash

 

रास्ते में ठहरा हुआ बारिश का पानी

चलते चलते ऐसे ही ठहर गया

 

दिल ने कहा कुछ देर रुक जाते हैं,

              बहा ठहरा हुआ पानी के बीच में

सोचते सोचते रुक गया,

              बात थोड़ी मानता है?

 

पानी में तैरती हुई नीले गगन की परछाईं,

और बीच में रुका हुआ मैं,

ऐसा लगता है कि गगन में ठहरा हुआ मेरा क्या!

 

मेरा पैर भीगा, चप्पल भीगी

मन डूबा नीले आसमान के नीले में

 

ऐसा ही होता है जानते हो

सर जब तुम्हारे सीने में रखता हूँ

इसी तरह मन डूब जाता है

                    नीले अनंत सुख में।

 

[Translated By: Subhajit Mondal]
[P. C.-
Debasish Bose]

 

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