sumanasya
4 April 2023
थोड़ा सा छुपाकर रक्खा हूँ तुझको
तुम नहीं, मैं कमजोर हूँ इसलिए।
तुम्हारा हाथ सबके सामने नहीं पकड़ता,
शरमाता हूँ इसलिए नहीं,
तुम्हारा हाथ सबकी नजर में आ जाएगा!
सबकी नजरों में,
नहीं नहीं,यह होने नहीं दूँगा,
इससे अच्छा रहने ही दो।
सबके सामने तुम्हारी ओर नहीं देखता,
अनदेखा भी नहीं करता,
मेरी आँखों में जो नशा छा जाता है
वह किसी और की आँखों में छा जाये तो ?
नहीं नहीं, मैं मर जाऊँगा।
दिन के उजालों में तुम्हें नहीं चूमता,
क्योंकि उजालों के ऊपर भी भरोसा नहीं है,
कम्बख्त बेशर्मों की तरह जो देखता रहता है!
इससे अच्छा तो अंधेरा है, क्योंकि
होठों से प्यार की गहराई आँखो से ज़्यादा है।
इसीलिए कह रहा था ,थोड़ा-सा अधिक छुपाकर रक्खा हूँ तुझको,
तुम नहीं, मैं कमजोर हूँ इसलिए।
[Translated By: Subhajit Mondal]